मोबाइल
“रिंकू की माँ किचन से आवाज देती है,
“रिंकू बेटा अपने दादा जी के पास थोड़ी देर बैठ जा ,तब तक मैं उनके लिए खिचड़ी बना दूं , हाँ! वो थोड़े बिमार हैं”
कान में लीड लगाकर मुंह बनाता हुआ चला जाता है दादाजी के पास ।
सामने सोफे पर बैठकर अपना मोबाइल में व्यस्त हो जाता है।
दादाजी कहराती हुई आवाज में एक पानी का गिलास मांगते हैं , लेकिन मोबाइल में तन, मन एवं केंद्रित बुद्धि होने के कारण ध्यान नहीं दे पाता।
दादाजी चल बसे।
एक भरपूर परिवार में वो भी प्यासे !
बाद में सफाईंयाँ पेश करते रहा, बस!
प्रवीण माटी