” मोदी का मुमकिन “
“मोदी का मुमकिन”
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आज लोकतंत्र ढूंढता हूँ
पर लोग ही गायब है,
और तंत्र इतना वैभवशाली कि,
लोगों को उसमें कुचला-पिसा पाता हूँ!
आज फिर राम जागे हैं
सत्ता की गलियों में एक बार,
लोगों की चित्कार,बेबसी छिपाने
शिलान्यास के बहाने जय श्री राम!
मोदी है तो मुमकिन है
सबका निजीकरण करने की धुन है,
देश की अर्थव्यवस्था झुनझुना
मोदी ही बेरोजगारी की दीमक, घुन है!
आपदा की घड़ी है
महामारी बहुत बड़ी है
मदद के दिखावे में लगा तंत्र है
लूटने में लगे मंत्री और तंत्र है!
सोने की चिड़िया है देश
खाने को दाने नही अवशेष
अच्छे दिनों की आस में
नौकरी गई सड़कों पर बेरोजगार है!
सत्ता का सब फण्डा है
राष्ट्र भक्ति इनका धन्धा है,
तुम करो तो देशद्रोही हो
मैं करूँ तो राष्ट्र भक्ति
सोच कितना गन्दा है!
*****सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी?)*****