बंदर
छत पर आया मोटा बंदर
पक्षी खिसके पूंछ दबाकर
पहले काटा सब कपड़ों को
तोड़ा चिड़िया के अंडों को
ऊधम कुछ ऐसे भी काटा
फैला गया किचन का आटा
हाथ आया कुछ नहीं छोड़ा
सामान बहुत घर का तोड़ा
डाली उसको चने की दाल
उसकी तबीयत हुई बहाल
लेकर अब एक अंगड़ाई
बंदर की फिर हुई विदाई
भुला बैठे भूख और प्यास
आई सबको चैन की सांस
© अरशद रसूल