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9 Jul 2021 · 1 min read

मोटर गाड़ी खिलौना

मन्ना रूठे मुन्नी रूठे,
दोनों रूठे बाजार में,

देख खिलौना बच्चे रूठे,
मांँ चिंतित हुई प्यार में,

घोड़ा हाथी गुड़िया तरह-तरह के खिलौने,
फिर भी बच्चे रूठ गए मोटर कार में,

चाबी भर कर चलती है,
दौड़ती है रफ्तार में,

मुन्ना-मुन्नी कोई न माने,
लगे समझाने बड़े सयाने,

बाल हट से कोई न जीते,
रोने लगे बीच बाजार में,

मांँ का हृदय छलक उठा,
आंँसू देख बच्चों के आंँख में,

मोटर गाड़ी झटपट दे दो भैया,
बाल हट से मांँ-बाप हारे संसार में।

रचनाकार –
✍🏼 बुद्ध प्रकाश;
मौदहा हमीरपुर।

5 Likes · 2 Comments · 2040 Views
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