मोगेम्बो खुश हुआ
ऐसे काव्यरस की सर्जना करूँ
बीते सालों के यौन-रसीले
सेक्स-बुखारे भी
कथावाचक,
संपादक,
और कानून के साहब,
साहित्यकार भी
उन्मत्त हाथी के मानिंद
एकसाथ चिंघाड़ उठे-
मोगेम्बो खुश हुआ !
ऐसे काव्यरस की सर्जना करूँ
बीते सालों के यौन-रसीले
सेक्स-बुखारे भी
कथावाचक,
संपादक,
और कानून के साहब,
साहित्यकार भी
उन्मत्त हाथी के मानिंद
एकसाथ चिंघाड़ उठे-
मोगेम्बो खुश हुआ !