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12 Sep 2024 · 1 min read

मै ही रहा मन से दग्ध

मै ही रहा मन से दग्ध
और देह से शापित
दर्द उगता है दिल में
तेरी यादों के जालों से
घिरा रहता हूँ मैं
अकुलाता उमड़ते ज्वार सा

हिमांशु Kulshrestha

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