मै भी बनूँ प्रधान
इच्छाएँ मरती नही,…मर जाता इंसान !
यही समूचा सत्य है,इसे समझ नादान !!
बुरे भले के बीच का, जिन्हे नही है भान !
उनकी भी मंशा यही, मै भी बनूँ प्रधान ! !
ऐसी कैसी लालसा ,नेताओं की आज !
चाहे जैसे भी मिले, रहे उन्ही का राज !!
जिसके रहते खो गया.,जीवन का अनुराग !
ऐसी ख्वाहिश का करें,फौरन ही परित्याग !!
रमेश शर्मा.