जो श्रम में अव्वल निकलेगा
ग़ज़ल
जो श्रम में अव्वल निकलेगा
बंदा वही सफल निकलेगा
सब्र के पाले में पकने दे
तब ही मीठा फल निकलेगा
गर्म मिलेगा उथले में जल
गहरे में शीतल निकलेगा
सुख का सूरज अस्त हुआ है
लेकिन वापिस कल निकलेगा
बिषधर जिससे लिपटे होंगे
पेड़ वही संदल निकलेगा
सोने का पानी है उस पर
घिस दोगे पीतल निकलेगा
मन की कठौती पावन होगी
तब ही गंगाजल निकलेगा
– अनीस शाह ‘अनीस ‘