” मैसेंजर क रूप “
डॉ लक्ष्मण झा” परिमल ”
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ओना तऽ अनेको विधा गूगल क मध्यमे प्राप्त भेल अछि ! इ विज्ञानक वरदान अछि जे इनफार्मेशन आ टेक्नोलॉजी मे हम सब अभूतपूर्व प्रगति केलहुं ! अनगिनत लोकक सानिध्य भेटल ! सम्पूर्ण विश्व सं जुड़य लगलहूँ ! भाषा ,संस्कृति ,सभ्यता ,भेश -भूषा , सीमा इत्यादि अवरोधक नहि बनि सकल !
गति मे तीव्रता आबि गेल ! सौभाग्यशाली छथि वो श्रेष्ठ लोकनि जे दुनु युग कें अत्यंत निकट सं अवलोकन केने छथि ! कखनो विडियो कालिंग ..कखनो व्हात्सप्प ..आ विभिन्य ब्रमास्त्र क प्रयोग अचूक अछि !
गतिशीलता क आशीर्वाद सं परिपूर्ण हमरालोकनि भऽ गेल छी मुदा कुम्भकर्ण क नींद अखनो धरि कोरोना वायरस बनल नस -नस मे दौगि रहल अछि ! अधिकांश लोकनि मैसेंजर क रूप बदलि रहल छथि !
अखने फेसबुक सं जुडलोंह ..मैसेंजर मे हाथ हिलय लागल !…. पहिने HI..HELLO अस्त्र क प्रयोग .तकर बाद लिय..मंगलाहा -चंग्लाहा पोस्टक प्रहार !..कियो- कियो त विभस्त फोटो पठा -पठा कें अपना कें महाभारत क अर्जुन बुझैत छथि !
एहि मैसेंजर मे कियो श्रेष्ठ छथि..कियो समतुल्य आ कियो कनिष्ठ ! संवादक रणक्षेत्र भेल इ मैसेंजर एप्प ताहि मे अभद्रता ..अशिष्टता..अमर्यादित व्यंजन कें परोसब त इ ग्राह्य कथमपि नहि भऽ सकैत अछि ! ..
अशिष्टता क प्रदर्शन हम कखनो -कखनो नव लोकनि कें विडियो कॉल कऽ देत छी..नहि समय देखब ..नहि प्रयोजन .. की पहिरने छी..कतय व्यस्त छी….एहि सब सं कोनो मतलब नहि ! कियो -कियो कहता ..”अपना मोबाइल नंबर भेजें “!
दू शब्द लिखबाक हिनका समय नहि छैनि आ मैसेंजर कें आकृति बदलबाक लेल सदित उताहुल रहित छथि ! हम सब कें सफल यौध्या बनबाक अछि ! तें प्रत्येक शस्त्र क उपयोग समुचित अवसर पर हेबाक चाही ! मैसेंजरक रूप सदेव अक्षुण रहबाक चाही ! आ जाहि लेल इ बनल अछि अधिकांशतः तकरे लेल एकर उपयोग हेबाक चाहि !
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डॉ लक्ष्मण झा” परिमल “