मैरी बड़ी अजब कहानी है,
आत्म कथा
मैं एक बो इंशान हूँ,जिसने जो भी कार्य किया हैं वो कार्य लोगों को गलत लगा क्यूँ कि मैं सिर्फ अपने मन में गलत भाव नहीं रखता था, जो भी कहता था लोगों के मुँह पर कहता था साहिद इसी लिए लोगों को मैं गलत लगता हूँ,
कभी -कभी तो अपने ही घर वालों की बात सुनकर लगता हैं कि मैं चुप ही रहूँ ,और अगर मैं चुप रहता हूँ तो मुझसे अपने ही लोग बोलने को कहते हैं और बोलू तो मैरा बोलना गलत लगता हैं,मैरे सामने तो कभी कभी ऐसी परस्थिति आ जाती हैं कि लगता हैं कि मैं सन्यासी ही बन जाऊ लेकिन लोगों को मैरा चुप रहना भी अच्छा नहीं लगता, मैं अपने क्रोध को कैसे कितना काबू करता हूँ ये बात सिर्फ मैं ही जानता हूँ,|
अगर अब ऐसी परिस्थिति आती हैं तो मैं अब मैं सन्यासी ही बनजाऊँगा,|
अब आगे क्या हो …………..?|
लेखक —Jayvind singh nagariya