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21 Nov 2024 · 1 min read

मैथिली

भव निहारु आरु चित दासी,
प्रियतम पद कमल चित भवानी।
झरी झरी बाजू,मन मकरंद
मानुख भाखा मधुर बोल । मैथिली!!

मधु रसक लोभि हे माधव,
कते दिन रहै परदेस राधेय ?
गामक नदी नहर मंंचान,
नयन झलकि मायक भाषा। मैथिली

आंगुर लहर, बियाहक चिंता ,
दुखक लहर मुरलिया मिंता।
जोगिन जोग करथि आराध,
मोहन मुरति हे जगदम्बा बोल । मैथिली !!

नाचल बसंत, गाछ फूलल,
बाजे सुधा प्रेमक चुगली।
घर विहान,गेलीह पग उजाड़,
भोरक आश नंदनी वनदेवी। मैथिली!!

तोहर बाट निहारथि सियाराम,
कते दिन अयला हे घनश्याम?
सखी कहू – “उठू हे सखि राम,
विश्व भारती के आँगनक !”मैथिली!!

तरुन मुरलि सुनिते लागल,
पवन झूमि गीत आबे जागल।
प्रकृति कहथि सगुन राघव,
भव सागर तरब हे माधवक। मैथिली!

—-श्रीहर्ष—-

Language: Maithili
Tag: Poem
36 Views

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