मैथिली साहित्यक एलीट बोनबिलाड़ आ सर्वनाशी दलाल
मैथिली साहित्य, मैथिली साहित्यकार, अकादमी पुरस्कार, मैथिली रत्न डंका पिटा रहलै बलू ई सब कतअ हई? जनता लक, लोक काज में लोक वेबहार मिथिला समाज में कतौ हई की मैथिली साहित्य? हँ मैथिली साहित्यक गिरोहवादी दलाल टा तक जरूर हई आ एकरा सब छोइड़ मिथिला लोक समाज तक मैथिली साहित्य कतौ नै रहलै आ नै लोक के मोन भवै छै? कारण कतेको छै आ सब स बेसी दुर्गंध मचौने छैई एलीट बोनबिलाड़ आ सर्वनाशी पेटपोसुआ दलाल सब? एकरे सब स जनता जनार्दन ललकाइर के पुछौ ने जे बलू कतअ हई केकरा सब लक गिरबी बन्हाएल हई मैथिली साहित्य? जनता आ समानांतप साहित्यकार सब एकरा सबके खिहारब शुरू करौ त जवाब दै बेर बकार हरण भऽ जेतै की. मुदा लोक अभिरूचि कम हेबाक कारणे अई दलाल एलीट बोनबिलाड़ सबहक मनमाफिक साहित्यिक दलाली खूब फलाभूत भऽ रहलै की.
एलीट बोनबिलाड़ माने साहित्य अकादमी नामे परामर्शी, संजोजक, जूरी, सलाहकार, मैथिली भोजपुरी अकादमी, मैथिली अकादमी मे सदस्य बनि मैथिली साहित्यक नामे जे सरकारी राशी, पुरूस्कार, पद, के भरपूर फायदा उठा बोनबिलाड़पनी करत आ अप्पन पेट भरत आ अपना साहित्यिक गिरोहक दलाली चमकौने फिरत आ वरिष्ठ मैथिली साहित्यकार हेबाक दाबीए निशा में चूर रहत. जबकी एकरा सबके लिखल साहित्य एकरा गिरोहक लोक छुटभैया साहित्यकार छोइड़ आन कोइ तेसर लोक आम जन सब नै पढ़ै छै. दोसर दिस सर्वनाशी पेटपोलुआ दलाल सह सेहो खूब उतपात मचौने अछि की. चंदाखोरी क ई दलाल सब साहित्यिक आयोजन क खूब अनेरूआ डंका पीटत पुरूस्कार बांटत अपनो पुरूस्कार रत्न बटोरत आ ई ओकरा सम्मानित करत उ ओकरा फला चिलां के आ चिल्ला झा फल्ला झां के सम्मानित क साहित्यकार हेबाक डंका दशमी के डगर जेंका डूग डूग क देत की करा देत आन कोनो लेखक वा की आन गिरोहक लेखक के साहित्यकार मानै काल दस टा बहन्ना बतिआएत. आभासी पटल पर एकरा सबहक कुकृत्यक बिरोध भेला पर ई दलाल एलीट सब एक आध बेर कोनो चुपचापी मंडल/ गिरगिटीया मंडल वा चुपचापी चलाक जादव महतो कांपरि लाभ आदी के पुरस्कार द अनघोल करत जे मैथिली साहित्य सबहक छियै? असल मे त मैथिली साहित्य मात्र एलीट पेटपोसुआ दलाल सबहक टा रहलै आ रहतै.
मैथिली साहित्य मुख्य रूप से चारि टा गिरोह मे बँटाएल छै/ हई क.
1. इलीट बोनबिलाड़ गिरोह-
अई ग्रुप मे सब दिन स साहित्यिक बोनबिलाड़ सब समूह मे रहलै आ मैथिली साहित्यक नाम पर सबटा मलाई खरांत यैह सब चा खाइत रहलै. अनका ककरो कहियो भाभंस नै हुअ देलकै आ परामर्शी संजोजक जूरी बनल मैथिली साहित्यक फरदबाली क खूब मौज उड़बैयैए आ खूब लोक के दिआस दियौलक जे मैथिली साहित्य सबहक छियौ आ फायदा टा हमरे हेतौ. एकरा सबहक दलालीक खिस्सा पर त कए पन्ना लिखा जेतै आ लिखा रहलै मुदा निरलज्जा के लाजे कथी के? बिरोध भेलाक बादो तइयो एकरा सबहक वर्चस्वाद बनले रहलै कारण आम लोक जनक अरूची. सबटा अकादमी पुरस्कार पोस्ट आदी ई सब अपने हाथे हसोंइत लैतो आ खूब जयकारी उद्घोषणा करते रहतौ.
2. पेटपोसुआ मानकी दलाल गिरोह:-
ई होहकारी सब त ईलीट ग्रुपक खेलाक बाद बंचल खूचल हड्डी बाइस खा मैथिली साहित्यक दलाली करने फिरत. लोक भाषा मैथिली के मानकी नाम पर शुद्ध अशुद्ध पैछमाहा दैछणाहा राड़ कोसिकन्हा में बाँटि अप्पन मानकी दाउ सुतारैत रहलै. ई सब कोनो लोक शैली के छपवा कला संपादित कर मानकी कर देतौ. ई मानकी दलाल सब अपने गिरोह टा लोक के साहित्यकार मानतौ अनका बेर मानकी बहन्ना बतिआए लगतौ. ई सब मैथिली साहित्य पर कब्जा दुआरे पत्र पत्रिका छपतौ समीति संगठन बना साहित्यकार हेबाक टैग दुआरे मैथिली मे हमरे टा बपौती बनल रहैए तइ दुआरे की सब खेल ने खेलेतौ आ समानांतर विचार वला आधुनिक साहित्यकार सबहक उनटे बिरोध करतौ आ तै काज मे दू चारि टा पिछलगुआ होहकारी सब के सेहो गिरोह मे रखतौ जे बलू कहूना मुख्य धारा के साहित्य के कमजोर करै जाइ.
3. अगुआ पिछलगुआ होहकारी गिरोह:-
अई गिरोह मे हारल बारल बाभन आ पिछलगुआ सोलकन सब रहलै जे सब दिने स ईलीट आ मानकी दलाल गिरोहक बंचलाहा खोंचलाहा आईंट खुंट खा एकरा दुनू के हँ मे हँ मिलबैत रहतौ आ मैथिली आयोजन मे खूब हो हो करै जेतौ जे मैथिली साहित्य त सबहक हई आ मैथिली समानांतर आयोजन के कमजोर करै मे बेमतलबो फेसबुकिया घोंघाउज करै जेतौ. ई पिछलगुआ सब सेहो उनटे मुख्य धारा के समानांतर साहित्यकार बिरोध करतौ. हँ ईलीट दलाल सबहक कुकृत्यक बिरोध बेर ई हेहरा सब कोठी दोग तर नुका जेतौ की. बिरोध करला पर त पुरूस्कार बेर नाम कट जेतै इहे डर ई सब सबदिस्सा दलाल बनल बाभन सोलकन सब दिस रहतौ की. जेम्हर लाभ तन्हरे हो हो. ई होहकारी दलाल सब त मैथिली नामे हुआ हुआ नढ़िया के फेल कर देतौ.
4. समानांतर विचार वला मुख्य धारा के साहित्यकार:-
अई मे नव बिचार वला बाभन सोलकन दुनू साहित्यकार सब अप्पन स्वतंत्र रूपे मैथिली साहित्य के विकास मे काज क रहलै जे मैथिली आम लोक जन स जुड़ौ. एकरा सबहक कोनो गिरोह नै हँ सब अपना सामर्थे स्वतंत्र रूपे मैथिल ईलीट बोनबिलाड़ होहकारी दलाल सबहक कुकृत्यक देखार क रहलै. अहि दुआरे त मैथिली मुख्य धारा के साहित्यकार सब मैथिली मंच पुरूस्कार सब मे बारले रहल आ ईलीट सब सुनयोजित प्लान बना बर्चस्वक बले साहित्य अकादमी बले मुख्य धारा साहित्यकारक रस्ता अटकौनै फिरत. बिरोध करला पर त ईलीट ग्रूप सब उनटे अप्पन कुकृत्यक झांपै मे रहत आ मुख्य धारा साहित्यकार के कुंठित मंचलोभी कैह हो हो करत. मुदा तइयो नव बिचार वला साहित्यकार सब डिजिटल तकनीक रूपे साक्ष जुटा अई एलीट दलाल सबके नांगट क देखार चिन्हार क दै छै.
मैथिली साहित्य के असलियत तोरा अरू बुझ गेलहो. एतना बिरोध होला पर तभो ई एलीट बोनबिलाड़ सब अप्पन दाउ सुताइड़ लै छहो आ अभियो मैथिली साहित्य पर एकरे अरू के बपौती कब्जा हौ. तोंई अरू मुख्य धारा के साहित्यकार सब संगठन बना बैचारीक कानूनी आम जनता सब रूपे अई एलीट दलाल बोनबिलाड़ सबके खिहारहो बिरोध करहो रस्ता घेर हिसांब करहो तबे मैथिली साहित्य लोक जन सरोकार तक पहुँचतौ आ नै त ई सर्वनाशी दलाल ईलीट सब मैथिली साहित्य के सत्यानाश कर के रखलकौ आ रखने रहतौ.
आलेख- डाॅ. किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)
19/04/2023.