मैं
समन्दर पीने की थी तमन्ना मेरी,
कतरा भी पी नहीं पाया हकीकत में मैं,,
ये फिजा,ये हवा,ये आसमां,देखता होगा,तो सोचता होगा,,
पहले कैसा था,अब कैसा हो गया हूं मैं।।
बहुत करीब से देखा,मतलबी जमाने को हमने,
बात इतनी ही है कि जमाने से खफा हो गया हूं मैं,,
छोड़ो,लौट आओ,जमी पर बैठके देखेंगे सितारे,
तुम्हारा नाम से ये आसमां,खरीद रहा हूं मैं,,
कुछ जादू सा था,जरूर तेरी आंखों में,,
जो भूल कर भी भूल नहीं पाता हूं मैं।।
वो साथ है मेरे,अफवाह फैला रहा हूं,,
बता दी हकीकत,तो अकेला हो जाऊंगा मैं।।