मैं
मैं कहीं एक , बस्ती ढूंढता सा ।
मैं कहीं अपनी, हस्ती ढूंढता सा ।
एक चमन-ओ-अमन की चाहत में ,
नज़्र निग़ाह की , मस्ती ढूंढता सा ।
….विवेक दुबे”निश्चल”@….
मैं कहीं एक , बस्ती ढूंढता सा ।
मैं कहीं अपनी, हस्ती ढूंढता सा ।
एक चमन-ओ-अमन की चाहत में ,
नज़्र निग़ाह की , मस्ती ढूंढता सा ।
….विवेक दुबे”निश्चल”@….