मैं
मैं
मैं सहमी थी
खंडित नहीं हुई
चलती रही।
पग वंदन
हृदय पटल से
करती रही।
अभिनंदन
पल -पल करतीं
समय बेला।
नीरस रंग
क्यों सब बेरंग
रंगती रही।
अरुणा डोगरा शर्मा