मैं ख़ुद को ख़ुद की मोहब्बत से ही जुदा कर लाया।।
बात उन दिनों की है,जब हम ख़ुद से थोड़े अनजाने थे,देखा था रब हमने पहली ही नज़र में बने हम उसके दीवाने थे।
कशमकश थी कैसे कहे अपने दिल के जज्बात उनसे,
इसी सोच में हम अपनी नींद को हारे थे!
एक शाम खुद को सम्भाल कह डाले उनसे दिल के जज्बात,
दिल को थोड़ा सम्भाल हमने रख दिया दोस्ती का प्रस्ताव,
सुन कर मेरी बातों को चौक गए,किसी अजनबी से सुनकर ये बात वो कुछ रूठ से गए।
हमने सोचा चलो हम दोस्त बन जाते है,
कुछ और ना सही कुछ जान-पहचान ही बढ़ाते है।
उनकी ना के बाद हाँ ने मुझे मायूस से खुश कर दिया,
फिर सुबह हुई वही मुस्कान लिए सूरज की रोशनी से भी ज्यादा चमक लिए वो चली आ रही थी,
उसे देख दिल की धड़कने बड़ी जा रही थी,
सोचा कदमों में उसके बिछकर उससे उसका प्यार मांग लू,
पर हम भी प्यार में खुद्दार आशिक ठहरें,अपने जज्बातों को संभाले बैठे रहें।
चंद दिनों में जान पहचान से आगे बढ़ उनसे दोस्ती ही गई,
मेरी तरफ़ से पूरी मोहब्बत और उनकी अधूरी मोहब्बत शुरू हो गई।
हमने सोचा चलो उनके दिल मे मेरे प्यार के लिए जज्बात तो जागे,
अरे पूरी ना सही आधी मोहब्बत के अरमान तो जागे,
यहीं सोच हमने अपने दिल के अरमान उनसे कहने चाहें,
पर हमसे पहले वो अपने आशिक़ की दास्तान हमसे कह गए,
रोते हुए अपने आशिक़ की बुराइयां हमसे कर गए,
वो बताते रहे कि वो बचपन से है उसके दीवानी,पर वो उनकी मोहब्बत की कद्र भी ना जाने,
कभी मार तो कभी गाली प्यार के बदले यही दे उसने इनकी मोहब्बत की सरेआम कईबार खुलेआम बेइज्जती कर डाली।
फिर मैंने जाना कि वो चुपके चुपके रोती है, अपने मोहब्बत की रुशवाई के लिए ना जाने कितने दुःख खुद को देती है।
हम उनकी तकलीफे देख ना पाए, खुद को उनके करीब जाने से रोक ना पाए,
कह डाला एक दिन हमने अपने दिल का हाल पूरे जज्बात के साथ, हम जानते थे वो इनकार करेंगे,
अपने पुरानी वफ़ा का वास्ता दे अपनी आधी मोहब्बत से इनकार करेंगे,
पर हमने भी ये ठाना था,दिल तो बस अब इन्ही से लगाना था,
मेरे दिल के हाले बया पर वो इनकार कर गए, कह कर की बाद में कहेंगे वो अपने दिल के जज्बात,हमसे पुछा की क्या आप हमारा इंतज़ार करेंगे,
चेहरे पर ख़ुशी और लाखों उम्मीदों की चमक लिए,
मैने उनसे कह डाला,
मेरे शरीर के मरने से पहले से लेकर मेरे रूह को खत्म होने से पहले तक मैं तेरा इंतज़ार करूंगा, बस तुम ये कह दो मैं आऊँगी,सच कहता हूं तेरे आने तक मैं दिलको थामे बैठूँगा।
ऐसा खुशनुमा दौर चलता रहा,धीरे धीरे वो हमसे अपने दिल -मन-घर की बातें भी कहने लगे,ख़ुद की भावनाओ से जुड़ा देख वो भी हमे चाहने लगें,
आहे-बगाहे वो कह देते आप पहले क्यों ना मिले,
हमने भी कह डाला अब मिले है,तो अब ही सही
पूरी मोहब्बत भले ना नसीब ही अगर तेरी आधी मोहब्बत ही मेरे हिस्से में तो आधी ही सही।
एक दौर कुछ यूं चला कि वो पुरानी वफ़ा से दूर हो गये,
वो अपनी वर्तमान की खुशियों में मेरे संग मशगूल हो गए,
हमे भी उनकी खुशियों को देख ये ठान लिया ज़िन्दगी की हर कीमत अदा कर इस मुस्कान को कायम रखना है,
मैंने अब ये मान लिया।
एक दिन वो दिन भी आया जब अचानक ही वो हमसे अपनी मोहब्बत का इज़हार कर गए,
अचानक से ज़िन्दगी का सबसे ख़ुशनुमा तौफा मिलता देख पागलों की तरह हमने पूछा उनसे क्या कहा आपने!
वो शर्माए फिर मुस्काये फिर धीरे से फिर वही बात कह गए हमे आपसे मोहब्बत हो गयी हैं ,ILOVE You।
ये सुन कह दिया हमने भी उस खुदा से दे दी है तूने मेरी ज़िंदगी मुझको, अब मुझे कुछ ना दे, देना है तो बस हर पल मेरे रब का साथ मुझे दे दे सकू उसे हर ख़ुशी इतनी काबिलियत दे।
ये कह उस खुदा से हमने थाम एक दूजे का हाथ चल दिये अपनी मंज़िल को।
धीरे-धीरे हम मोहब्बत में बड़े मशगूल हों गये, वो हमारे और हम उनके आंखों में खो गए,
अब एक पल भी एक दूजे के बिना जीना गवारा ना था,घण्टो बातों करने पर भी दिल के अरमानों का कोई ठिकाना ना था,
महीनों चली हमारी मोहब्बत में उनके वादों कोई ठिकाना ना था, संग-संग ज़िन्दगी गुज़ारने का वादा उनसे बेगाना ना था, कह गये की मेरे साथ ही गुजारेंगे वो ज़िन्दगी सात फेरो का वादा भी उन्होंने हमसे छुपाया ना था।
मैं खुश था मोहब्बत मिली ज़िन्दगी में मुझे, मेरा इसके सिवा मुझे क्या चाहिए बना रहे उसका साथ संग प्यार बस उस खुदा से यही दुआ चाहिए।
बढ़ती मोहब्बत और उड़ते अरमानो के बीचएक तूफानआ गया।
पता ना किसकी नज़र लग गई मेरे मोहब्बत के बीच मे फिर उस तीसरे और उनके पहली मोहब्बत की एंट्री हों गई,
देख उन्हें मेरी मोहब्बत में पागल,उसने मुझसे मेरे रब को अलग करने की कसम खा डाली,
रच षड्यंत्र उसने मेरे रब को मुझसे जुदा करने की साज़िश रच डाली, था इस बात से बेखबर मैं ,मेरे अपनो के संग ही उसने मेरे मोहब्बत की कब्र खोद डाली,
मैं बेख़बर उनकी मोहब्बत में पागल, बस प्यार में ही खोया रहा।
उधर जिसे मैं मोहब्बत में रब समझ बैठा रहा,उस रब ने ही छुपके से मेरी मोहब्बत को नीलाम कर डाला,
धीरे-धीरे होके उसके करीब मुझको मेरी ही मोहब्बत में मार डाला,
धीरे-धीरे मैं जितना रब को पाने की कोशिश में गया रब उतना ही मुझसे दूर गया,
एक दफा देख अपने रब को मायूसी में रोता मैंने उनसे पूछ डाला आखिर कौन सी ऐसी खता हुई हमसे जो इतने खफा हो गये हो हमसे अगर नही है अब मोहब्बत हमसे तो कह दो हम दूर हो जाएंगे,तेरी खुशी के खातिर अपनी मोहब्बत को ही खुद से अलग कर जाएंगे,
मुझसे कर अंजानो सा व्यवहार,उसने किया मेरे दिल पर एक और घातक वार,
मिली बाहर जब उनकी सहेली ,हमने पूछा रब की मायूसी के पीछे की पहेली पूछ डाली,
बड़ी ही मन्नतों के बाद वो बोली कि वो अपने पुराने वाले प्यार से बेहद प्यार करती हैं,मैं अवाक तुरन्त बोल बैठा तो फिर मुझसे!
वो बोली ,वो आपसे भी प्यार करती हैं!!
ये बात मुझे सुकून ना दे पाई, आख़िर कुछ तो कमी होगी मेरी मोहब्बत में जो पा कर भी रब को ना पाए, सोच ये बात की एक दफा में दो लड़कों से ऐसी मोहब्बत करने से वो वफ़ा वफ़ा नही बेहयाई कहलाएगी, मेरे रब को ऐसी तोहमत से बचा लाया खुद कों खुद की मोहब्बत से मैं हमेशा के लिए जुदा कर लाया!!
आज भी मेरा दिल हर पल रब को चाहे पर इस अरमान को चाह कर भी अपने रब से कह ना पाएं!!
थी कितनी मोहब्बत उनसे ये हम शब्दो मे बयाँ ना कर पाएंगे,
भले ही आई हो मेरे हिस्से में मेरे रब की रुशवाई पर हम तो उन्हें कायनात के अंत तक चाहेंगे।।
दीपक ‘पटेल’