मैं हूं गुलाब
मेरी तन्हाईयां..
मेरी खामोशियां ..
सबसे अलग मेरी परेशानियां… मेरा एकांकीपन
शूलो से घिरा पत्तों का अपनापन
सबके आंखों को सुकून देती, चुभन से पीड़ित मेरी कलियां… जन्नत का एहसास कराती मेरी वादियां…
मैं और मेरा संसार
केवल दूसरों के सुख का आधार
ताब है जब तक पंखुड़ियों में
यूं ही मुस्कुराती रहूं ,
दूसरों को दे खुशी अपनी पीड़ा भूलाती रहूं
मैं हूं गुलाब गुलशन ए ताज
पतझड़ को भी पछाड़ती रहूं ,
बहारे बनाती, सजाती रहूं।।
✍️ अंजू पांडेय अश्रु रायपुर