मैं सिकंदर हो गया
अश्क की बूंदें समेटे मैं समंदर हो गया
दर्द की ऊँचाइयां छू मैं भी अंबर हो गया
क्या बताऊं, हार कर यह दिल बा’जारे हुश्न में
इश्क की इस सल्तनत का मैं सिकंदर हो गया
©
शरद कश्यप
अश्क की बूंदें समेटे मैं समंदर हो गया
दर्द की ऊँचाइयां छू मैं भी अंबर हो गया
क्या बताऊं, हार कर यह दिल बा’जारे हुश्न में
इश्क की इस सल्तनत का मैं सिकंदर हो गया
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शरद कश्यप