मैं शायर तो नहीं था
इस क़दर परेशान
ज़िंदगी हो गई
कि देखते-देखते
शायरी हो गई…
(१)
हाल अपना
कहते न बना
चुपचाप भी
रहते न बना
मुझ पर तारी एक
बेखुदी हो गई
कि देखते-देखते
शायरी हो गई…
(२)
मैं इश्क़ में
नाकाम हुआ
चारों तरफ़
बदनाम हुआ
मेरी जान की दुश्मन
आशिकी हो गई
कि देखते-देखते
शायरी हो गई…
(३)
दूर-दूर तक
अंधेरा था
दिखता नहीं
सबेरा था
ख़ुद को जलाते ही
रोशनी हो गई
कि देखते-देखते
शायरी हो गई…
(४)
बारात आई
धूमधाम से
दुल्हन बनी
वह शान से
कुछ रस्मों में क़ैद
हर ख़ुशी हो गई
कि देखते-देखते
शायरी हो गई…
(५)
कभी दुनिया से
कभी अपनों से
कभी क़िस्मत से
कभी सपनों से
चोट ख़ाके हंसा और
बंदगी हो गई
कि देखते-देखते
शायरी हो गई…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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