“मैं मजाक हूँ “
“मैं मजाक हूँ ”
हालात की चक्की में पीसकर
बेरुखी से रूककर
आज मैं अपनी ही नजर में मजाक हूँ
जिन्दगी का एक लम्हा
आज किताबो संग बीता कर
खामोशी से अपनी असफलता को देख
कह रहा हां मैं मजाक हूँ
नालायकी को देख मेरे अपने
मेरे तर्जुबो को सुखा सपना
आज मुझे बताकर अपनो की नज़र मे
मजाक बना गये
सही समय की प्रतीक्षा में
सहन शीलता का स्वाद चखकर
कड़ी मेहनत की सफलता से
ताना खोर खुद मजाक बन गये
गर्व से सिर मेरा ऊँचा था
अपने मा बाप संग भाईयो का सपना मेरा जचा था
. कह सकता हूँ
मैं हंसी उड़ाने वालो को अपने कराबियों की खुशी को
केद करने वाली वो सलाक मै एक मजाक हूं