मैं भी क्यों रखूं मतलब उनसे
मैं भी रखूं क्यों मतलब उनसे।
उनको नहीं जब मतलब मुझसे।।
कभी हाल मेरा नहीं पूछते वो।
क्यों हाल जानूँ अब मैं भी उनसे।।
मैं भी रखूं क्यों मतलब —————–।।
फुरसत कभी उनको मिलती तो होगी।
करते नहीं क्यों वो याद मुझको।।
शायद उनके दिल में कोई शक है।
इसीलिए वो नहीं मिलते मुझको।।
हो गया मैं भी अब उनके जैसा।
रखता हूँ दूरी अब मैं भी उनसे।।
मैं भी रखूं क्यों मतलब —————–।।
अपना अगर वो मुझको समझते।
चलता नहीं मैं उनसे अलग राह।।
रखते लगाकर अगर मुझको दिल से।
नहीं छोड़ता मैं कभी उनकी बाँह।।
बचते हैं मुझसे वो मिलने से अब।
चाहता नहीं बात करना मैं उनसे।।
मैं भी रखूं क्यों मतलब ——————।।
बताते नहीं क्यों गुनाह मेरा क्या है।
क्यों डरते हैं वो सच से इतना।।
या तो कमी कुछ होगी उनमें।
नहीं तो बताते वो मुझको अपना।।
नाराज जब वो रहते हैं मुझसे।
नहीं मांगूगा मैं मदद कभी उनसे।।
मैं भी रखूं क्यों मतलब —————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)