मैं बिहार हूं
पुरातन काल से अस्तित्व है मेरा
सदियों से ऐतिहासिक महत्त्व है मेरा
गोद में मेरे साम्राज्यों का सृजन हुआ
मिथिला,मगध, वज्जी जिनका नाम हुआ
है भूमि यह गणितज्ञ आर्यभट्ट की
और महान अशोक सम्राट की
साक्षी हूं कौटिल्य के कूटनीति का
उस प्रकांड विद्वान के राजनीति का
जहां सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य हुआ
हर दिशा में जिसका शौर्य हुआ
गौतम हुए जहां पर भगवान बुद्ध
बोधगया का वह बोधिवृक्ष है सिद्ध
भगवान महावीर का जहां जन्म हुआ
पावन पुनीत वैशाली वह धन्य हुआ
माता सीता जहां की हुई बेटी
पावन वह है मिथिला की नगरी
संस्कार संस्कृति है जहां की रीति
मधुबनी चित्रकला को मिली ख्याति
पान मखान जहां शुभमंगल होते
प्रभु भी जहां गीत में गाली सुनते
कोसी,गंडक,गंगा, कमला व घाघरा
कल कल बहती सदृश जीवन धारा
साहित्य को जिसने ओज प्रदान किए
इस माटी में ऐसे कितने ही विद्वान हुए
दिनकर,फणीश्वर,बेनीपुरी ,नागार्जुन,
मंडन मिश्र,विद्यापति और सांकृत्यायन
गौरवशाली बिहार की भूमि हुई धन्य
पाकर डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद जैसे रत्न
जहां वैभव है नालंदा विश्वविद्यालय का
उसके स्वर्णिम गौरवशाली इतिहास का
सुना रही नूतन आज इतिहास पुरानी
गौरवान्वित हुई सुनकर इसकी कहानी
महान विभूतियों की भूमि, है बिहार
जिन्होंने सुदृढ़ किया,इसका आधार
सच्चिदानंद सिन्हा,राजा राधिका रमण
बाबू कुंवर सिंह जैसे अनेकों नाम हैं
सामाजिक संघर्षों के, किए काम हैं
लिट्टीचोखा, चूडादही,भातदाल की थाली
खीरपुरी,मछली चावल की बात है निराली
आस्था जहां, लोगों के रग रग में बसते हैं
महान पर्व छठ, घरों में धूमधाम से मनते हैं
गंगा की गोद में पला पाटलिपुत्र,विक्रमशीला,
सालों से अपनी ऐश्वर्य की कहानी सुना रहा
अधूरा है, बिहार के बिना भारत की राजनीति
और अधूरा है राज्यों की प्रगति,ऐसा बता रहा
स्वरचित(मौलिक)