फिर चाहे ज़िंदो में.. मैं मुर्दा ही सही…!!
वो बात पुरानी लगती है ज़ब मैं और तुम एक लगते थे,
मैं सबको भूल चूका सच में, जिनसे रिश्ता जिस्मानी लगता था,
तुझे भूलना तो ख्वाब ही रहेगा, क्यूंकि तुझ से नाता मेरा रूहानी है !!
वो बहुत पुरानी बात लगती है, ज़ब तू मुझसे मिलने को तड़पती थी,
अब तो तसव्वुर ही तेरा हो जाये, ये दिन भी सपनों से लगते है !!
मैं भूल भी जाता तुझको पर.. तू यादों में मेरे है ही नहीं,
तू समाई हुई है रग – रग में, तुझे भूलना लगा वाजिब तो खुद को ही खो दूँगा मैं कभी,
मैं खो भी दूँ वज़ूद अपना पर… मुझे अपना समझने वाले और भी है !!
तू ख़ुशी – ख़ुशी जीना जिंदगी, हर दौर तेरे नसीबात है,
मुझको तो तुम टुकड़ों में मिली..
कभी दोस्त, कभी हमसफ़र तो कभी गैरों से मिले मुझे,
उसका साथ तुम देना दिल से, जिनको मुक़म्मल- सी तुम हो मिली !!
मेरे बारे सोचना.. ना हो शौक तेरा, मैं दुआ करुँगा रब से यहीं,
तू भूल ही जाना मुझको सनम, मैं तेरी ज़िन्दगी का अख़्स नहीं,
मुझसे दूर ही रहना मेरे सनम, फिर चाहे ज़िंदो में.. मैं मुर्दा ही सही !!
❤️ Love Ravi ❤️