*मैं प्रतीक्षा में* (अतुकांत कविता)
स्वर्णिम सुबह होते ही
कब चुनमुन चिड़ियाँ
चूँ-चूँ कर, मधुर कलरव कर
कानों में पंचम संगीत घोल
मुझे नींद से जगाएगी
“मैं प्रतीक्षा में”
कब संध्या बेला में कोयल
कू-कू कर बुलाएगी,
गोधूलि बेला में गायों की
घंटी की आवाज आएगी
“मैं प्रतीक्षा में”
कब हसदेव के कल-कल,
पनघट पर पायल की रुनझुन,
पीली-पीली सरसों के खेतों में
रंग बिरंग इतराते तितलियाँ,
दरख्त के नीचे बैठी
स्कूल की लड़कियाँ
अतीत बचपन
फिर से याद दिलाएगी
“मैं प्रतीक्षा में”
कब दादी नानी
परियों की कहानी सुनाएगी,
कब गजरा की महक,
सोंधी मिट्टी की खुशबू आएगी
सावन की बारिश में
कोई कागज की नाव चलाएगा
“मैं प्रतीक्षा में”
✍दुष्यंत कुमार पटेल