मैं नारी हूँ, मुझे मत सोच लेना आजमाने की।
मुक्तक
मैं नारी हूँ, मुझे मत सोच लेना आजमाने की।
मेरे अंदर वो जज़्बा है, वो ताकत है जमाने की।
कलम से काम करती हूँ, वो जो तलवार करती है।
जरूरत है नहीं मुझको, कोई खंजर चलाने की।
…..✍️ प्रेमी
मुक्तक
मैं नारी हूँ, मुझे मत सोच लेना आजमाने की।
मेरे अंदर वो जज़्बा है, वो ताकत है जमाने की।
कलम से काम करती हूँ, वो जो तलवार करती है।
जरूरत है नहीं मुझको, कोई खंजर चलाने की।
…..✍️ प्रेमी