मैं दिल में आती हूँ!
मैं दिल में आती हूँ!
मैं दिल में आती हूँ,
सबके समझ में नहीं आती हूँ,
क्योंकि मैं थोड़ी नहीं कॉफ़ी
जज़्बाती हूं।
इश्क़ मेरी इबादत है,
अज़ीज़ मुझे सदाक़त है,
हुस्न से हसींन हूँ मैं,
पास मेरे खुदा की हिफाज़त है।
मिज़ाज़ मेरा आशिकाना है,
पलता आँखों में सपना सुहाना है,
बेहद मोहब्बती, मस्तान हूँ,
आता मुझे उदासियों को हँसाना है।
ग़मो की परवरिश करती हूँ मैं,
ज़ख्मो की सिफारिश करती हूँ मैं,
मैं जशन की मोहताज नहीं,
शायरी की परिशतिश करती हूँ मैं।
दोस्ती दिलोजान से निभाती हूँ,
सबको प्यार का सबक सिखाती हूँ,
उम्मीदी की एक अनोखी मिसाल हूँ,
दौड़ती हुई ज़िन्दगी की मशाल हूँ।
एक खूबसूरत शख्शियत की मालिक हूँ ,
मैं स्वाभिमानी,स्वाभाविक,स्वचालित हूँ,
अभिलाषाओं की अभिलाषा हूँ,
मैं एक अलंकृत भाषा हूँ।
मैं प्रशंशनीय हूँ,
मैं कर्मशील हूँ,
मैं अपने ख़्वाबो की दासी हूँ,
कभी मनचली तो कभी देवदासी हूँ।
मैं ऐसी ही हूँ!
मैं ऐसी भी हूँ,वैसी भी हूँ,
जैसी भी हूँ,जादूभरी हूँ,
प्यारी सी,खुशबुभरी हूँ,
ज़हीन हूँ,संजीदा हूँ,
महजबीं हूँ,फरीदा हूँ।
बस इतनी सी है गुज़ारिश सबसे-
मुझे समझने की कोशिश ना करना,
थोड़ी क्या बिलकुल भी ना करना
क्योंकि
मैं थोड़ी नहीं काफ़ी जज़्बाती हूँ,
इसलिए शायद नहीं यकीनन-
दिल में,दिल में आती हूँ,
समझ में नहीं आती हूँ।
सोनल निर्मल नमिता