मैं तेरे चरणों में आकर , खुद को संवार लूं
मैं तेरे चरणों में आकर , खुद को संवार लूं
मैं तेरे चरणों में आकर , जीवन संवार लूं
मैं तेरा शागिर्द, मेरा मालिक है तू
तेरे क़दमों में , खुद को मैं निसार दूं
तेरे करम , तेरी इनायत हो सब पर
तेरी इबादत में मैं अपनी , सारी उम्र गुजार दूं
एक तेरे दीदार की आरज़ू ही काफी है मेरे लिए
तेरे दर का चराग बन, खुद को निखार लूं
तुझ पर मेरा एतबार , काफी है जीने के लिए
तेरे करम से मैं खुद को , तेरी राह पर निसार दूं
मेरे दिल की पीर से वाकिफ़ है तू ए मेरे खुदा
तेरे इक इशारे पर खुद को फ़ना कर दूं
मेरे गीतों में तेरे जिक्र , मेरी गजलों में तू
तेरे करम से मैं अपनी. कलम को संवार लूं
मैं तेरे चरणों में आकर , खुद को संवार लूं
मैं तेरे चरणों में आकर , जीवन संवार लूं
मैं तेरा शागिर्द, मेरा मालिक है तू
तेरे क़दमों में , खुद को मैं निसार दूं