मैं तुम हम होंगे
*** मैं तुम हम होंगें ***
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मैं तुम जब भी हम होंगे,
बाकी से ना कम होंगें।
कैसा होगा वो लम्हा,
बातों में तब रम होंगे।
वो हंसीं होगी घटना,
तेरे मेरे गम होंगें।
दौड़ेगी जीवन गाड़ी,
घबराये भी यम होंगें।
मनसीरत सबका साथी,
हम करने में छम होंगें।
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सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)