मैं जो कुछ हूँ, वही कुछ हूँ,जो जाहिर है, वो बातिल है
मैं जो कुछ हूँ, वही कुछ हूँ,जो जाहिर है, वो बातिल है
बना लिया रिश्ता तो निभा देता हूँ
जो बनाया सच्ची इल्म से निभा देता हूँ।।
किसी जूठी अना से दिल को बहलाना नहीं आता
तालुक तोड़ता हूँ मुकम्मल तोड़ देता हूँ
जिसे मैं छोड़ देता हूँ उसे मैं छोड़ देता हूँ।।
यकीन रखता नहीं मैं किसी कच्चे ताल्लुक पर
जो धागा टूटने वाला हो उसे मैं तोड़ देता हूँ।।
दिल की गहराई से जो रिश्ता बनता है,वही सच्चा रिश्ता कहलाता है।।
फिर चाहे वो रिश्ता दोस्ती का हो,या फिर प्यार का हो।।
सच्चा रिश्ता कभी नहीं टूटता,और टूट भी जाए तो फिर जुड़ जाता है।।
लेकिन कच्चा रिश्ता,जैसे ही टूटता है,फिर कभी नहीं जुड़ पाता।।
इसलिए मैं यकीन रखता हूँ,किसी कच्चे ताल्लुक पर
जो धागा टूटने वाला हो,उसे मैं तोड़ देता हूँ।।