मैं जब से उसके पहलू में आ बैठा।
मैं जब से उसके पहलू में आ बैठा,
दुनिया के सारे गम भुला बैठा,
वह तमन्ना लिए बैठे रहे,हमें गमगीन करने की,
मेरी थोड़ी सी हरकत से वो भी मुस्कुरा बैठा।।
रचना- मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
सं०- 9534148597
मैं जब से उसके पहलू में आ बैठा,
दुनिया के सारे गम भुला बैठा,
वह तमन्ना लिए बैठे रहे,हमें गमगीन करने की,
मेरी थोड़ी सी हरकत से वो भी मुस्कुरा बैठा।।
रचना- मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
सं०- 9534148597