मैं गीतों में डूब गया हूँ
मैं गीतों में डूब गया हूँ
नहीं उबरना है मुझको अब
मैं गीतों में डूब गया हूँ।
दुनियादारी के खटपट में।
पैसे – कौड़ी के झंझट में।
जन्मदिवस के उत्सव देखे
शव देखे मैंने मरघट में।
रास न आई मुझको दुनिया-
इन सबसे अब ऊब गया हूँ।
मैं गीतों में डूब गया हूँ।।
छन्दों के मैं दुष्कर पथ पर।
चढ़ भावों के ऊँचे रथ पर।
पहुँच रहा हूँ धीरे – धीरे
गीतों के संदर्भित अथ पर।
भाव-शिल्प के पक्ष जानने-
काव्य सभा में खूब गया हूँ।
मैं गीतों में डूब गया हूँ।।
उलझा हूँ लय-गति-छन्दों में।
भाव – शिल्प वाले द्वन्दों में।
स्वलेेेखनी भी अटक गई है
दुष्कर गीतों के बंधों में।
प्रीत लगाकर गीतों से मैं-
भूल तुझे महबूब गया हूँ।
मैं गीतों में डूब गया हूँ।।
०००