मैं कौन हूँ
मैं कौन हूँ
अभागिन नहीं कह सकते मुझे क्योंकि तक्दीर मेरी फूटी नहीं है,
भाग्य मेरा हीरे जवाहरतो से सुसज्जित है,
हृदय मेरा व्यथित नहीं है।
अभिमान मेरा अलंकार है ,
शब्द मेरे शास्त्र हैं।
जीवन यात्रा में हारने का भय नहीं है ,
क्योंकि वासुदेव कृष्न स्वयं मेरे जीवन नामक रथ के सारथी हैं।