मैं कौन हूँ
मैं कौन हूँ? इस प्रश्न का उत्तर आजतक किसी के पास नहीं है। हांजी आध्यात्मिक रूप से इसका उत्तर आपको अलग और साइंटिफिक रूप से अलग हो सकता है। मेरे खयाल से कोई भी विद्वान दोनो उत्तरों से शत प्रतिशत सहमत नहीं हो सकता। ये बात अलग है कि आप सोचते क्या हैं? अगर आपका मन आध्यात्म की ओर ज्यादा गई बतौर साइंस के तो आपको आध्यात्मिक बातें ज्यादा अच्छी लगेगी और यदि झुकाव साइंस विषय की ओर है तो ठीक आध्यात्मक के विपरीत।
दोनो सॉज एक हद तक ठीक हैं। मगर सच ये है कि कुछ प्रश्न आज भी असमंजस वाले हैं जिनका संक्षेप में उत्तर देना उतना ही मुश्किल जितना कि किसी महासागर में आग लगाने जैसा है।