*मंत्री जी भी कभी किसी दिन, ई-रिक्शा पर बैठें तो (हिंदी गजल-
दोहे -लालची
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
** लोभी क्रोधी ढोंगी मानव खोखा है**
मौन मुहब्बत में रही,आंखों में थी आश।
आंगन आंगन पीर है, आंखन आंखन नीर।
रंग तिरंगे के सभी , देते हैं आवाज ।
The wrong partner in your life will teach you that you can d
फूल यूहीं खिला नहीं करते कलियों में बीज को दफ़्न होना पड़ता
ए चांद आसमां के मेरे चांद को ढूंढ ले आ
आप लगाया न करो अपने होंठो पर लिपिस्टिक।
हे राम,,,,,,,,,सहारा तेरा है।
मोहब्बत में मोहब्बत से नजर फेरा,
ग़ज़ल _ यूँ नज़र से तुम हमको 🌹
"उल्फ़त के लिबासों में, जो है वो अदावत है।
बोये बीज बबूल आम कहाँ से होय🙏
बेफिक्र तेरे पहलू पे उतर आया हूं मैं, अब तेरी मर्जी....