Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jun 2024 · 1 min read

मैं कैसे कहूं कि क्या क्या बदल गया,

मैं कैसे कहूं कि क्या क्या बदल गया,
मेरा तो जैसे पूरा जहां बदल गया।

बदले रात दिन, बदले नजारें, बदली हवा,
और ये मौसम खुशनुमा बदल गया।

तुम्हें सोचती हूं, रहती हूं तेरे ही ख्यालों में,
तुम न मानो मगर मेरा हुलिया बदल गया।

न वो हाल है, न वो चाल है जाने क्यों,
मेरा अंदाज खामखा बदल गया।

लोग कहते है दीवानी ऐसे ही नहीं मुझे,
मेरा नाम, रंग रूप, नक्शा बदल गया।

सब कुछ ग्वारा है मुझको लेकिन,
ये न सुन पाऊंगी कि मेरा चाहने वाला बदल गया।

“ज्योति रौशनी”

2 Likes · 20 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
" तारीफ़ "
Dr. Kishan tandon kranti
गर्मी आई
गर्मी आई
Manu Vashistha
रंगों का त्योहार होली
रंगों का त्योहार होली
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
"ज्यादा मिठास शक के घेरे में आती है
Priya princess panwar
मां शैलपुत्री देवी
मां शैलपुत्री देवी
Harminder Kaur
अब नहीं घूमता
अब नहीं घूमता
Shweta Soni
चला मुरारी हीरो बनने ....
चला मुरारी हीरो बनने ....
Abasaheb Sarjerao Mhaske
सच जिंदा रहे(मुक्तक)
सच जिंदा रहे(मुक्तक)
गुमनाम 'बाबा'
रेशम की डोर राखी....
रेशम की डोर राखी....
राहुल रायकवार जज़्बाती
बेवफ़ाई
बेवफ़ाई
Dipak Kumar "Girja"
हम लड़के हैं जनाब...
हम लड़के हैं जनाब...
पूर्वार्थ
एक गुजारिश तुझसे है
एक गुजारिश तुझसे है
Buddha Prakash
*छिपी रहती सरल चेहरों के, पीछे होशियारी है (हिंदी गजल)*
*छिपी रहती सरल चेहरों के, पीछे होशियारी है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
सफर पर है आज का दिन
सफर पर है आज का दिन
Sonit Parjapati
23/31.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/31.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मातृशक्ति
मातृशक्ति
Sanjay ' शून्य'
**बकरा बन पल मे मै हलाल हो गया**
**बकरा बन पल मे मै हलाल हो गया**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मंजिल यू‌ँ ही नहीं मिल जाती,
मंजिल यू‌ँ ही नहीं मिल जाती,
Yogendra Chaturwedi
आदिपुरुष समीक्षा
आदिपुरुष समीक्षा
Dr.Archannaa Mishraa
सुंदरता के मायने
सुंदरता के मायने
Surya Barman
7) “आओ मिल कर दीप जलाएँ”
7) “आओ मिल कर दीप जलाएँ”
Sapna Arora
जिस नई सुबह ने
जिस नई सुबह ने
PRADYUMNA AROTHIYA
चाँदी की चादर तनी, हुआ शीत का अंत।
चाँदी की चादर तनी, हुआ शीत का अंत।
डॉ.सीमा अग्रवाल
मन होता है मेरा,
मन होता है मेरा,
Dr Tabassum Jahan
बात खो गई
बात खो गई
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
"" *सिमरन* ""
सुनीलानंद महंत
ग़ज़ल(गुलाबों से तितली करे प्यार छत पर —)————————–
ग़ज़ल(गुलाबों से तितली करे प्यार छत पर —)————————–
डॉक्टर रागिनी
तेवरी को विवादास्पद बनाने की मुहिम +रमेशराज
तेवरी को विवादास्पद बनाने की मुहिम +रमेशराज
कवि रमेशराज
पिया की प्रतीक्षा में जगती रही
पिया की प्रतीक्षा में जगती रही
Ram Krishan Rastogi
"तानाशाही" की आशंका खत्म, "बाबूशाही" की शुरू। वजह- "चन्द्र ब
*प्रणय प्रभात*
Loading...