मैं कैसे कहूं कि क्या क्या बदल गया,
मैं कैसे कहूं कि क्या क्या बदल गया,
मेरा तो जैसे पूरा जहां बदल गया।
बदले रात दिन, बदले नजारें, बदली हवा,
और ये मौसम खुशनुमा बदल गया।
तुम्हें सोचती हूं, रहती हूं तेरे ही ख्यालों में,
तुम न मानो मगर मेरा हुलिया बदल गया।
न वो हाल है, न वो चाल है जाने क्यों,
मेरा अंदाज खामखा बदल गया।
लोग कहते है दीवानी ऐसे ही नहीं मुझे,
मेरा नाम, रंग रूप, नक्शा बदल गया।
सब कुछ ग्वारा है मुझको लेकिन,
ये न सुन पाऊंगी कि मेरा चाहने वाला बदल गया।
“ज्योति रौशनी”