मैं और सूरज.
मैं और सूरज
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इतनाक्यों जलते हो
तुम सूरज…
इतनी गर्मी देकर
क्यों सताते हो
हम लोगों को.
किया क्या हम
ने तुम से
इतना नाराज़
क्यों हम से.
ज़रा कम नहीं
कर सकते हो
अपनी गर्मी.
सूख गये हैं
नदी और नाले.
नहीं कुएँ में पानी
एक ही बूँद.
पशु पक्षी भी
तटप रहे हैं
सश्यजाल सब
सूख गये हैं.
कम नहीं सकती
तुम्हारी गर्मी.
पुछा मैं ने सूरज से.
जवाब दिया सूरज ने
“अरे यार मुछे भी
गर्मी सह नहीं
सकता.
इसलिए ही
मैं ने डूब गया-
हूँ सागर में
रोज़ शामको.”