मैं और मेरे उत्प्रेरक : श्री शिव अवतार रस्तोगी सरस जी की जीवन यात्रा
पुस्तक का नाम : मैं और मेरे उत्प्रेरक
आत्मकथा लेखक : श्री शिव अवतार रस्तोगी सरस जी की जीवन यात्रा
संपादक : बृजेंद्र वत्स
प्रबंध संपादक: अशोक विश्नोई
संयोजन : श्रीमती कनक लता सरस
प्रकाशक : पुनीत प्रकाशन, मालती नगर, मुरादाबाद
संस्करण : 2014
मूल्य : ₹500
कुल पृष्ठ संख्या: 528
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4 जनवरी 1939 को संभल, उत्तर प्रदेश में जन्मे हिंदी के प्रमुख बाल साहित्यकार तथा कुरीतियों के विरुद्ध निरंतर सामाजिक चेतना को जागृत करने वाले सजग लेखक और कवि श्री शिव अवतार रस्तोगी सरस का जीवन वास्तव में उतार-चढ़ाव से भरा हुआ है। यह उन सब लोगों के लिए प्रेरणादायक है ,जो विपरीत परिस्थितियों में भी लक्ष्य की प्राप्ति की आकाँक्षा रखते हैं। आप की आत्मकथा “मैं और मेरे उत्प्रेरक” इस दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण पुस्तक है कि यह एक व्यक्ति द्वारा विपरीत परिस्थितियों में जूझते हुए आत्मनिर्माण की प्रक्रिया को बताती है।
अनेक महापुरुषों के संदेशों से, उनके पत्रों से तथा लेखों से भरी हुई यह पुस्तक श्री सरस जी के जीवन और कृतित्व के विविध आयामों को उद्घाटित करती है । सर्वश्री विष्णु प्रभाकर ,कुँअर बेचैन , बनारसीदास चतुर्वेदी, मोरारजी देसाई आदि न जाने कितने नाम है ,जिनके साथ श्री सरस जी की जीवन यात्रा घुल- मिल गई है।
अपनी आत्मकथा में सरस जी ने बहुत सादगी से भरी भाषा और शैली में अपने जीवन का चित्रण किया है। आपने एक जमींदार परिवार में जन्म लेने के बाद जहाँ एक ओर जमींदारी की पृष्ठभूमि में धनाड्यता के स्वरों को पिता और पितामह के जीवन में अतीत में कहानियों के रूप में सुना, वहीं दूसरी ओर बाल्यावस्था से अभावों को भोगा और सब प्रकार से संस्कारों के साथ तथा कुसंगों से बचते हुए एक आदर्श जीवन शैली अपने लिए विकसित की ।आपके भीतर सदैव एक निश्चल ह्रदय हिलोरें मारता रहा और यही आपके भीतर का बालक बाल- कविताओं के रूप में संसार के सामने आया ।
पिता हिंदी तथा उर्दू के अच्छे कवि थे तथा उनकी कविताओं ने बाल्यावस्था में ही श्री सरस के जीवन को कविता की ओर मोड़ दिया। शिक्षा पूरी करने के बाद प्रारंभ में आपने कुछ स्थानों पर अध्यापन कार्य किया , लेकिन बाद में महाराजा अग्रसेन इंटर कॉलेज, मुरादाबाद में आप स्थाई रूप से प्रवक्ता के पद पर नियुक्त हो गए तथा मुरादाबाद को ही आपने अपनी कर्मभूमि के रूप में स्वीकार किया । मुरादाबाद में आपको साहित्यिक तथा सामाजिक दृष्टि से अनुकूल वातावरण मिला तथा आपके आत्मीय संबंध क्षेत्र में सभी के साथ स्थापित हो गए ।आत्मकथा में आपने इन सबका स्मरण किया है ,जो बहुत रोचक है।
बृजेंद्र सिंह वत्स द्वारा बहुत परिश्रम के साथ संपादित तथा अशोक विश्नोई के प्रबंध संपादक रूप में प्रकाशित पुस्तक “मैं और मेरे उत्प्रेरक” एक सराहनीय कृति है तथा इससे घर- परिवार, समाज ,सहकर्मियों तथा साहित्यकारों सभी के बीच में घुल- मिल कर एक बहुआयामी व्यक्तित्व किस प्रकार शिव अवतार रस्तोगी सरस के रूप में सर्वप्रिय स्थिति में निर्मित हो जाता है, इसका पता चलता है। आप प्रमुख बाल साहित्यकार हैं।
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समीक्षक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99 97 61 545 1