मैं उसका ही आईना था जहाँ मोहब्बत वो मेरी थी,तो अंदाजा उसे कह
मैं उसका ही आईना था जहाँ मोहब्बत वो मेरी थी,तो अंदाजा उसे कहाँ भाता
इश्क और उसकी शर्तो पर त्याग मेरा था तो उसे मेरे प्रेम का अंदाज कहाँ समझ आता
मैं तो खुल कर प्यार करने लगा था,
पर उसे कह ही नहीं पाया तेरे बेगैर यह सफल कहाँ हो पाता