मैं उनके सँग में यदि रहता नहीं
मैं उनके सँग में यदि रहता नहीं।
तो ख्वाब मेरा ऐसा होता नहीं।।
मान लेता बात यदि तुम्हारी भी।
तो यह जुनून मुझमें होता नहीं।।
मैं उनके सँग में——————–।।
बैठा हूँ मैं तो अक्सर महफिलों में।
अमीरों सँग में, ऊंचे महलों में।।
करता नहीं यदि किनारा मैं तुमसे।
करीबी मैं उनका कभी होता नहीं।।
मैं उनके सँग में ——————।।
गरीबी में कभी मैं रहा नहीं हूँ।
काँटों में कभी मैं चला नहीं हूँ।।
सोता नहीं यदि फूलों में ऐसे।
सितारों में घर मेरा होता नहीं।।
मैं उनके सँग में —————–।।
पसन्द तेरी सूरत भी आती मुझको।
तुमसे मोहब्बत भी होती मुझको।।
बना लेता तुमको भी साथी मैं अपना।
हुर्रों में यदि रहा होता नहीं।।
मैं उनके सँग में ——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)