मैं अशुद्ध बोलता हूं
मैं अशुद्ध बोलता हूं
उसमें मनोभाव दिखता है
तुम शुद्ध बोलतीं हों
उसमें अलगाव दिखता है
मां, मम्मी, मौम या किसी को ‘माई’ दिखती है
यें तो भाषा है जिसे मानव समाज से सिखती है
-केशव
मैं अशुद्ध बोलता हूं
उसमें मनोभाव दिखता है
तुम शुद्ध बोलतीं हों
उसमें अलगाव दिखता है
मां, मम्मी, मौम या किसी को ‘माई’ दिखती है
यें तो भाषा है जिसे मानव समाज से सिखती है
-केशव