मैंने मोहब्बत को बड़ी ही शिद्दत से निभाया
ना उसने मुझे बुलाया,
ना मैंने उसे भुलाया।
उसने नफरत को और मैंने मोहब्बत को,
बड़ी ही शिद्दत से निभाया।
मेरे दिल का हाल भला वो जान पाते भी तो कैसे,
ना उसने कभी पूछा ना मैंने कभी बताया।
आज हवा में कुछ जानी पहचानी सी महक,
ज़रा खिड़की से बाहर झांको कहीं वो तो नहीं आया