मैंने जितने छंद लिखे हैं
मैंने जितने छंद लिखे हैं
प्रियवर तेरे नाम करूँ |
कोरे कागज पर लिख कर के
दिलबर तुझे सलाम करूँ |
कभी भवानी,कभी राधिका
और कभी सीता बन कर-
हर युग में मिलते आये हम
दिल से ये पैगाम करूँ |
-वसंत जमशेदपुरी
मैंने जितने छंद लिखे हैं
प्रियवर तेरे नाम करूँ |
कोरे कागज पर लिख कर के
दिलबर तुझे सलाम करूँ |
कभी भवानी,कभी राधिका
और कभी सीता बन कर-
हर युग में मिलते आये हम
दिल से ये पैगाम करूँ |
-वसंत जमशेदपुरी