*मैंने कभी पढा था …*
मैंने कभी पढा था …
“पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोय, ढाई अक्षर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय।।” बहुत अथक प्रयास के बाद अब पता लगा ये ढाई अक्षर क्या है-*ढाई अक्षर के ब्रह्मा और ढाई अक्षर की सृष्टि।**ढाई अक्षर के विष्णु और ढाई अक्षर की लक्ष्मी।* ढाई अक्षर के कृष्ण .. ढाई अक्षर की दुर्गा .. ढाई अक्षर की शक्ति।*ढाई अक्षर की श्रद्धा और ढाई अक्षर की भक्ति।**ढाई अक्षर का त्याग और ढाई अक्षर का ध्यान।**ढाई अक्षर की तुष्टि और ढाई अक्षर की इच्छा।**ढाई अक्षर का धर्म और ढाई अक्षर का कर्म।**ढाई अक्षर का भाग्य और ढाई अक्षर की व्यथा।**ढाई अक्षर का ग्रन्थ और ढाई अक्षर का सन्त।**ढाई अक्षर का शब्द और ढाई अक्षर का अर्थ।**ढाई अक्षर का सत्य और ढाई अक्षर की मिथ्या।* ढाई अक्षर की श्रुति और ढाई अक्षर की ध्वनि।*ढाई अक्षर की अग्नि और ढाई अक्षर का कुण्ड।**ढाई अक्षर का मन्त्र और ढाई अक्षर का यन्त्र।**ढाई अक्षर की श्वांस और ढाई अक्षर के प्राण।**ढाई अक्षर का जन्म ढाई अक्षर की मृत्यु।**ढाई अक्षर की अस्थि और ढाई अक्षर की अर्थी।**ढाई अक्षर का प्यार और ढाई अक्षर का युद्ध।**ढाई अक्षर का मित्र और ढाई अक्षर का शत्रु।**ढाई अक्षर का प्रेम और ढाई अक्षर की घृणा।**जन्म से लेकर मृत्यु तक हम बंधे हैं ढाई अक्षर में।*
हैं ढाई अक्षर ही वक़्त में , और ढाई अक्षर ही अन्त में।🙏🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झांसी उ•प्र•