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14 Mar 2022 · 1 min read

मैंने ऐसे स्वर्ण महलों में आना जाना छोड़ दिया,

समझ सके ना जो दिल मेरा उसे समझना छोड़ दिया,
छिपा-छिपा के अपने आंसू अब मुस्काना छोड़ दिया,
जज्बो का जहां मोल नहीं हो, रिश्तों के कोई कद्र नहीं हो,
मैंने ऐसे स्वर्ण महलों में आना-जाना जाना छोड़ दिया।

✍🏻रेनुका चौहान ✍🏻
कुशीनगर

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 241 Views

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