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21 Dec 2023 · 1 min read

मैंने इन आंखों से ज़माने को संभालते देखा है

मैंने इन आंखों से ज़माने को संभालते देखा है
किसी के ख्वाबों को आंखों में मरते देखा है।।
जिस तरह फूल खिलते हैं अपनी कलियों से
उस मासूम बेटी का आज घर उजड़ते देखें हैं ।।
मां ने पाला था जिसे फूल बनाकर आंगन का
उस बेटी को बाप के घर दूर निकलते देखा है ।।
अब तो खुश फेमिया होगी की बो तुझे प्यार करे
चिराग़ जल के घरों का उजड़ते देखा है ।।
दफन हो गये सारे वजूद उसके घर में तेरे
मैंने उस मां को तेरे घर पे नाक रगड़ते देखा है ।।

Phool gufran

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