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6 Jul 2021 · 1 min read

मेहनत

देखो आज फिर मेरी मेहनत रंग लाई हैं
कलम ने रोशनाई कागज पर बिखराई है

अल्फ़ाज़ कुछ उभर कर आ रहे हैं देखिये
फिर से मैंने देखो जगह तीस में पाई है

कोशिश रहेगी हमेशा फिर से बाहर ना हो जाऊं
अभी एक से तीस के बीच लंबी खाई है

तीस डंडो की ये सीढ़ी है उतार भी है चढ़ाव भी
सीढ़ी ना छूटे कभी भी ये तमन्ना जगाई है

आपका प्यार और स्नेह गर यूँ ही मिलता रहा
चढ़ जाऊंगा उतरते संभलते ये जो चढ़ाई है

वीर कुमार जैन
06 जुलाई 2021

Language: Hindi
Tag: शेर
204 Views
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