मेहनत से लकीरों को गढ़ता रहा
मेहनत से लकीरों को गढ़ता रहा,
रातों को भी दिन सा करता रहा,
सब कुछ भुला दिया इस पथ पर चलते चलते,
मुकद्दर ही रूठा होगा वर्ना,
फर्ज तो अपना पूरा करता रहा।
@ कुमार दीपक “मणि”
मेहनत से लकीरों को गढ़ता रहा,
रातों को भी दिन सा करता रहा,
सब कुछ भुला दिया इस पथ पर चलते चलते,
मुकद्दर ही रूठा होगा वर्ना,
फर्ज तो अपना पूरा करता रहा।
@ कुमार दीपक “मणि”