मेलों का मौसम है आया(बाल कविता)
मेलों का मौसम है आया(बाल कविता)
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धूप गुनगुनी मन को भाई
हल्की ठंड सुहानी आई (1)
मूँगफली अब अच्छी लगती
टूँग – टूँग कर सब ने खाई(2)
कूड़ा- करकट धूल हट रही
घर – घर देखो शुरू पुताई(3)
रावण मारा रामचंद्र ने
सिया कैद से गयीं छुड़ाई(4)
मेलों का मौसम है आया
मस्ती भीतर -बाहर छाई(5)
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रचयिता : रवि प्रकाश, रामपुर