मेरे हिस्से जब कभी शीशे का घर आता है…
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Madiid musamman saalim
faa’ilaatun faa’ilun faa’ilaatun faa’ilun
2122 212 2122 212
मेरे हिस्से जब कभी शीशे का घर आता है
तेरे हाथों में अचानक क्यों पत्थर आता है
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पास रखता था यहाँ मैं दिखाने आइना
हाथ मेरे आज छोटा यहाँ घर आता है
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एक आफत वो हमें रोज चिपकाता रहा
इक शिकन्जा सामने जांच दफ्तर आता है
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चाहने का तुम को मालूम है अंजाम भी
जब धुआँ हो आसमा, वो कतर पर आता है
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अब उतर जाए मिरे खौफ का आलम यहाँ
मुझको सीधा सादगी बोल अक्सर आता है
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सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर दुर्ग (छ.ग.)