मेरे शब्दों को कहँ दो …
मेरे शब्दों को कह दो ,
गहराइयों में जाओ ,
जो हर जज़्बात को पिरोए ,
जैसे मोतियों की माला कह दो…
ऐसा समंदर बन जाये,
जीतना डुबते जाए ,
और डूबने को दिल चाहे,
और गहराइयों में जाए …
हर वक्त सोहबत हो,
साँसे शब्द बन जाये,
आँखों से उतरकर ,
दिल में छप जाये…
सूरज की गरमी को शांत करने,
बादल घिरे आसमान में,
लिख दिया हो बिजलियों ने और,
बस जाए दिल की धड़कन में …
मेरे शब्दों को कह दो ,
गहराइयों में जाओ ,
और गहराई में जहाँ सिर्फ मैं ,
और दुनिया को भुला दो …